फरीदाबाद। डॉक्टरों की तरह शिक्षक भी इस मुश्किल समय में लगातार काम कर रहे हैं। हम पर भी देश के बेहतर बनाने की जिम्मेदारी है। शिक्षकों और स्कूली कर्मचारियों को क्यों फ्रंटलाइन वर्करों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता? कुछ इसी तरह के सवाल सोशल मीडिया पर निजी स्कूल सरकार से पूछ रहे हैं। साथ ही स्कूली कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्करों में शामिल कर प्राथमिकता पर टीकाकरण की मांग की जा रही है। इसके लिए स्कूलों ने सोशल साइट पर अभियान छेड़ा है।
स्कूलों को अनिवार्य श्रेणी में करने की मांग
निजी स्कूलों की संस्था हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रेंस (एचपीएससी) के बैनर तले स्कूलों को अनिवार्य श्रेणी में करने की मांग उठाई जा रही है। साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि स्कूल शिक्षकों और कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्करों का तमगा मिलना चाहिए। एचपीएससी ने ट्वीट किया है कि सरकार और प्रशासन को ये सोचना चाहिए कि स्कूल सभी की अनिवार्य जरूरत है और शिक्षकों और स्कूली कर्मचारियों को फ्रेंटलाइन वर्कर की श्रेणी में शामिल करना चाहिए।
‘हम भी समाज के हीरो हैं’ का दे रहे संदेश
एचपीएससी ने स्कूल प्रिंसिपलों, शिक्षकों और स्कूली कर्मचारियों को हीरो की उपाधि देते हुए ‘हम भी समाज के हीरो हैं’ अभियान शुरू किया है। ट्वीट करते हुए संदेश दिया गया है कि स्कूल के सभी कर्मचारियों को हम हीरो बुलाना शुरू करते हैं, ताकि बच्चों को पता चले कि हम भी समाज के लिए बेहतर जरूरी है। राष्ट्र निर्माण में हमारी भूमिका खास है। समाज को आगे ले जाने में शिक्षक और शिक्षा का योगदान जरूरी है।