फरीदाबाद। नगर निगम के दस वार्डों में बगैर काम के ठेकेदार को की गई 50 करोड़ रुपये पेमेंट के घोटाले में निगम प्रशासन ने एक और नई कमेटी गठित कर दी है। इस कमेटी में डिप्टी मेयर व एक पार्षद समेत पांच लोग शामिल हैं। घोटाले की दोबारा से जांच शुरू कर दी है। जल्द ही इसमें शामिल निगम अधिकारियों को तलब कर बयान दर्ज किए जाएंगे। इसके बाद कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजेगी। दूसरी ओर विजिलेंस भी इस केस की जांच कर रही है लेकिन अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।
निगम पार्षद दीपक चौधरी ने अकाउंट ब्रांच से 2017 से 2019 तक विकास कार्यों का ब्योरा मांगा था। उन्होंने पूछा था कि किस फंड से किस ठेकेदार को कितनी पेमेंट हुई। चौधरी ने बताया कि उनके वार्ड में 27 ऐसे कार्य हुए हैं जिनमें एक करोड़ रुपये से ज्यादा की पेमेंट दिखाई गई है। कामों में नालियों की रिपेयरिंग, इंटरलॉकिंग टाइल लगाना और स्लैब लगाने को दिखाया गया। लेकिन, मौके पर काम ही नहीं हुआ। वहीं ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया। कुल 10 वार्डों में करीब 50 करोड़ का विकास दिखाकर ठेकेदार ने निगम से पेंमेंट लिया है। नगर निगम की आर्थिक हालत बेहद खराब है। जनरल फंड का इस्तेमाल छोटे मोटे खर्चे और कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए किया जाता है। विकास कार्यों के लिए तो जनरल फंड में पैसा ही नहीं बचता। लेकिन जानकर हैरानी होगी कि साल 2017 से 2019 के बीच में 40 से 50 करोड़ रुपये की पेमेंट जनरल फंड से हुई है। आंतरिक रिपोर्ट में पाया कि ठेकेदार ने जिन 388 कार्यों को दिखाकर निगम से पेमेंट लिया था।
निगम आयुक्त यशपाल यादव ने एक कमेटी गठित की है। इसमें मुख्य अभियंता रामजीलाल, सचिव अनिल यादव, डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग और निगम पार्षद अजय बैंसला शामिल हैं। सोमवार को कमेटी की पहली बैठक हुई। मनमोहन ने बताया कि अगले सप्ताह फिर बैठक होगी। घोटाले में शामिल अधिकारियों को नोटिस भेजकर बुलाया जाएगा। 20 दिन में जांच रिपोर्ट तैयार कर कार्रवाई के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा।