मिडिया प्रजातंत्र का मजबूर सतम्भ- सीजेएम मंगलेश कुमार चौबे

मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव मंगलेश कुमार चौबे ने कहा कि मीडिया प्रजातंत्र का मजबूर सतम्भ है। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि शक्तिशाली लोगों के खिलाफ रिपोर्टिंग करना जोखिम भरा काम हो सकता है।

सीजेएम ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 2 नवम्बर को विश्व स्तर पर संयुक्त राष्ट्र समर्थित इंटरनेशनल डे टू एंड इम्प्युनिटी फॉर क्राइम्स अगेंस्ट जर्नलिस्ट यानि पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दण्ड मुक्ति समाप्त करने का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। यह दिन पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के खिलाफ हिंसक अपराधों के लिए कम वैश्विक सजा दर पर ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जाता है।

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मंगलेश कुमार चौबे आज आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की श्रृंखला में जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सभागार में पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दंड से मुक्ति के लिए आयोजित अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित मीडिया कर्मियों व स्टाफ को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि पिछले एक दशक में औसतन हर 4 दिन में एक पत्रकार की हत्या हुई है। इनमें से कई पत्रकार बिना सशस्त्र संघर्ष वाले देशों में मारे गए। इस संदर्भ में खत्री सौरभ ने अमेरिकी जर्नलिस्ट डेनियल पर्ल के पाकिस्तान,अफगानिस्तान में अपहरण व हत्या तथा अमेरिकी पत्रकार जमाल खुशोगी को सऊदी दूतावास में बंधक व हत्या के मामले के उदाहरण भी प्रस्तुत किए।

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उन्होंने कहा कि सिर्फ अपना काम करने के लिए 2006 से 2020 के बीच बड़ी संख्या में पत्रकारों की हत्या कर दी गई है। औसतन 10 में से 9 मामलों की ठीक से पैरवी नहीं हो पाती, जिसके परिणामस्वरूप हत्यारे बच निकलते हैं। ऐसे आंकड़े प्रेस की आजादी की निराशाजनक तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।

सीजेएम मंगलेश कुमार चौबे ने कहा कि पत्रकार अपनी जान हथेली पर रखकर समाज में हो रहे गलत कार्यों को आमजन की आवाज बनकर उठाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अन्य संगठनों में काम करने वाले लोगों के नाम तो गुप्त रह जाते हैं, लेकिन पत्रकार का नाम व काम सार्वजनिक रहता है। इसलिए उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि मीडिया कर्मियों को न केवल दबाव झेलना पड़ता है, बल्कि उनकी जान को तरह-तरह के खतरे भी होते हैं। उन्होंने कहा कि आमजन को महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रजातंत्र का मीडिया एक शक्तिशाली माध्यम है।

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उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत जिला के सभी गांवों में कानूनी साक्षरता व कानूनी सहायता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं  कार्यक्रम में जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण  के पैनल अधिवक्ता रविन्द्र गुप्ता ने कार्यक्रम में आए पत्रकारों का स्वागत करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 नवंबर को महासभा के प्रस्ताव के जरिए पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दण्ड मुक्ति समाप्त करने का अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में सदस्य देशों से आग्रह किया गया है कि वे मौजूदा संस्कृति को लागू करने के लिए निश्चित उपायों को लागू करें।

यह तारीख 2 नवंबर 2013 को माली में की गई दो फ्रांसीसी पत्रकारों की हत्या की याद में चुनी गई थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मंगलेश कुमार चौबे ने कार्यक्रम के विशेष आमंत्रित सदस्य जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी राकेश गौतम सहित सहायक सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारियों और गणमान्य पत्रकारों को स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता रविन्द्र गुप्ता  व जीत कुमार रावत सहित अन्य पैनल अधिवक्ता मौजूद थे।

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