कोरोना संक्रमण की वजह से पटरी पर नहीं आ रहा जूता उद्योग

फरीदाबाद। कोरोना संक्रमण के कारण एक बार फिर से लग रही पाबंदी के कारण जूता कारोबार फिर से संकट में आ गया है। सर्दी मौसम में स्कूल- कॉलेज खुलने से जूता कारोबारियों को अच्छी-खासी बिक्री की उम्मीद थी। लेकिन कोरोना संक्रमण फिर से फैलने के कारण लगे लॉक डाउन ने जूता कारोबार को फिर से संकट में डाल दिया है। जानकारों की मानें तो सन 2020 में लॉकडाउन के बाद स्कूल-कॉलेज बंद होने का सबसे ज्यादा असर जूता कारोबार पर पड़ा था। अचानक लॉक डाउन लगने से जूता उद्योग को मोटी चपत लगी थी। लॉक डाउन खुलने के बाद भी जूता उद्योग को ऑर्डर मिलने में तेजी नहीं आई थी।

शहर में जूता-चप्पलें बनाने वाली कई औद्योगिक इकाइयां हैं। यहां लखानी, पूनम, सागर, नेलको सहित छोटी-बड़ी आठ-10 औद्योगिक इकाइयां हैं। इनमें लखानी अरमान सबसे बड़ा ब्रांड है। बाकी औद्यागिक इकाइयों ने भी अपना-अपना बाजार बनाया हुआ है। सर्दी के मौसम में मिनी लॉक डाउन लगने से जूता उद्यमियों और कारोबारियों का सिरदर्द बढ़ गया है।

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लखानी अरमान ग्रुप के चेयरमैन केसी लखानी बताते हैं कि स्कूल-कॉलेज की वजह से जूतों की अच्छी-खासी बिक्री होती है। राहत की बात यह है कि दुकानें खुली हैं। उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना संक्रमण कम होगा और कारोबार बेहतर होगा। सरकार को भी एहतियात के तौर पर मिनी लॉक डाउन लगाना पड़ा है।

एके रबड़ इंडस्ट्री के निदेशक अनिल ढल बताते हैं कि सर्दी के मौसम में जूते की बिक्री ज्यादा होती है। अब फिर से कोरोना संक्रमण फैलने लगा है। इस कारण सरकार ने मिनी लॉक डाउन लगा दिया है। स्कूलों से अच्छी बिक्री की उम्मीद थी। प्रत्येक वर्ष का नया शैक्षनिक सत्र सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस सीजन के लिए कंपनियां खास तैयारी करती हैं। दिवाली के बाद से ही स्कूल-कॉलेज के लिए अपनी तैयारी शुरू कर देती हैं। दो साल से लगातार नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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