पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में हरियाणा सरकार को आदेश दिया है कि जिन अभिभावकों ने किसी भी कारण से फीस व अन्य फंड में फीस जमा नहीं कराई है, यह सुनिश्चित किया जाए कि उनके बच्चों को किसी भी एग्जाम में बैठने से ना रोका जाए। न्यायाधीश
सुधीर मित्तल ने यह आदेश सोमवार 29 नवंबर को कैथल की पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा इस बारे में तत्काल सुनवाई करने की अपील पर दिया है।
हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने शिक्षा निदेशक पंचकूला व चेयरमैन फीस एंड फंडस रेगुलेटरी कमेटी (एफएफआरसी) कम मंडल आयुक्त फरीदाबाद संजय जून से मांग की है कि हाईकोर्ट के इस आदेश को देखते हुए स्कूल प्रबंधकों के लिए शीघ्र आदेश जारी करें। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि एमवीएन, एपीजे, महादेव देसाई, मानव रचना, डीएवी, रयान आदि अन्य कई स्कूलों के प्रबंधक़ अभिभावकों द्वारा एनुअल चार्ज जमा ना कराने पर उनके बच्चों को दिसंबर में हो रही अर्धवार्षिक व फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षाओं में नहीं बैठने दे रहे हैं।
मंच का कहना है कि जो अभिभावक प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों की एनुअल चार्ज मांगने की गैरकानूनी कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं उनके बच्चों को हरासमेंट किया जा रहा है, उन्हें अर्धवार्षिक परीक्षा में बैठने से रोका जा रहा है। मंच ने अभिभावकों से कहा है कि वे जागरुक व एकजुट होकर स्कूलों की इस मनमानी का पुरजोर विरोध करें और मासिक आधार पर बिना बढ़ाई गई सिर्फ ट्यूशन फीस ही जमा कराएं इसके अलावा अन्य किसी भी फंडस में एक पैसा भी ना दें।
मंच के जिला अध्यक्ष डॉ मनोज शर्मा ने कहा है अभिभावक मासिक आधार पर लगातार ट्यूशन फीस दे रहे हैं अब दिसंबर में दसवीं बारहवीं की फर्स्ट सेमेस्टर व अन्य कक्षाओं की घरेलू परीक्षाएं होने जा रही हैं स्कूल प्रबंधक छात्रों को इनमें शामिल करने के लिए अभिभावकों से अगला पिछला एनुअल चार्ज मांग रहे हैं ना देने पर परीक्षा में ना बैठने देने की धमकी दे रहे हैं। जो पूरी तरह से गैरकानूनी है।
मंच ने चेयरमैन एफएफआरसी फरीदाबाद से मांग की है कि वे स्कूलों की प्रत्येक मनमानी पर रोक लगाएं और जिस तरह गुरुग्राम मंडल के मंडल कमिश्नर कम चेयरमैन एफएफआरसी ने गुरुग्राम के मनमानी कर रहे स्कूलों के पिछले 5 साल के खातों की जांच व आय व्यय का ऑडिट करने का आदेश दिया है उसी प्रकार वह भी अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए फरीदाबाद के मनमानी कर रहे प्राइवेट स्कूलों के पिछले 5 साल के खातों की जांच व ऑडिट कराएं। जिससे पता चल सके कि स्कूल प्रबंधक घाटे में हैं या फायदे में और उनके पास कितना रिजर्व व सरप्लस फंड है।