राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का एक तिहाई हिस्सा अब कम हो जाएगा। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में एनसीआर का क्षेत्र तय कर लिया गया है। सभी राज्यों को इसमे समान अवसर मिलेगा। नए नियम के चलते हरियाणा और राजस्थान का इलाका कम हो जाएगा। यूपी की दो तहसीलों पर इसका असर पड़ सकता है। मुजफ्फरनगर की जानसठ तहसील और बुलंदशहर की शिकारपुर तहसील एनसीआर से बाहर हो सकती है। अभी तक एनसीआर की सीमा 55 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा थी। यह अब घटकर 37115 वर्ग किलोमीटर रह जाएगी।
करनाल, जींद जिले हो सकते हैं एनसीआर से बाहर
नई योजना का असर सबसे ज्यादा हरियाणा पर पड़ेगा। करनाल, जींद जैसे जिले एनसीआर की सीमा से बाहर हो सकते हैं। इसके अलावा भिवानी का कुछ हिस्सा भी एनसीआर की सीमा से बाहर रह सकता है। बैठक में तय किया गया है कि वर्तमान एनसीआर की सीमा में शामिल बड़े शहरों को नए मास्टर प्लान में भी शामिल किया जाए, भले ही वह 100 किलोमीटर के दायरे से बाहर हो। इसके चलते राजस्थान के अलवर को एनसीआर में जगह मिल सकती है। सभी राज्यों को कहा गया है कि वे सौ किलोमीटर की सीमा के हिसाब से मास्टर प्लान के बाद अपना सबरीजन प्लान तैयार करेंगे। फिलहाल हरियाणा का झज्जर, पलवल, सोनीपत, गुड़गांव, पानीपत, रोहतक, मेवात, रेवाड़ी, भिवानी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, करनाल और जींद एनसीआर में शामिल हैं। यानि राज्य का 62 % क्षेत्र एनसीआर में हैं।
हरियाणा लगातार कर रहा था सीमा तय की मांग
हरियाणा लगातार एनसीआर की सीमा तय करने की मांग कर रहा था। दरअसल हरियाणा के 13 जिले एनसीआर का हिस्सा हैं। इसके चलते यहां प्रदूषण के समय एनसीआर के नियम लागू होते हैं। पराली जलाने से लेकर गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन खत्म करने की समस्या सबसे ज्यादा हरियाणा को हो रही थी। इसके चलते हरियाणा लगातार एनसीआर का हिस्सा कम करने की मांग कर रहा था। बैठक में तय किया गया कि एनसीआर की सीमा राजघाट से 100 किलोमीटर रहेगी। उत्तर प्रदेश के रीजन पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है। यूपी के आठ जिले एनसीआर में शामिल हैं। सभी जनपद अभी भी इसका हिस्सा रहेंगे। मुजफ्फरनगर की जानसठ और बुलंदशहर की शिकारपुर तहसील सौ किलोमीटर के दायरे से बाहर है, हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार इन्हें भी एनसीआर में शामिल कराने के पक्ष में है।