सौरभ भारद्वाज
फरीदाबाद : सूरजकुंड के नजदीक दिल् ली और हरियाणा के बार्डर पर पिछले लगभग दो दशक में जंगल काट कर एक अवैध कॉलोनी उगा दी गई है। कहने को तो यह इलाका राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है , लेकिन यहां माफिया का कानून चलता है। लगभग 10 हजार घरों और 50-60 हजार आबादी वाली यह बस्ती भूमाफिया के रहमोकरम पर है।
जंगल बेच डाला
भू माफिया ने वन विभाग के कर्मचारियों और पुलिस के साथ मिलकर यहां जंगल की 100 एकड़ जमीन को धीरे-धीरे बेच डाला। पिछले दो दशक में कई सरकारें आईं और गईं लेकिन माफिया का यह कारोबार बदस्तूर जारी रहा। यहां बसने की चाह रखने वालों को माफिया सिर्फ 1000 रुपये गज में जंगल की जमीन पर कब्जा उपलब्ध करवाता रहा। दूर-दराज के गांवों से कामधंधे की तलाश में आए लोगों को दिल्ली एनसीआर में इससे सस्ती जमीन आखिर कहां मिलती और पैसा भी एक मुश्त नहीं देना था, खाते-कमाते किश्तों में इस पैसे का भुगतान किया जा सकता था। यही वजह थी कि बीस सालों में संगम विहार के पीछे से जंगल में सेंध लगी और बड़ी आबादी यहां बसती चली गई।
बिजली और पानी माफिया
बस्ती चूंकि अवैध रूप से बस रही थी इसलिए बिजली और पानी की सरकारी व्यवस्था नहीं थी। इसका फायदा उठाया भू माफिया ने और दिल् ली में बिजली का कर्मशल कनैक्शन लेकर यहां रह रहे लोगों को अवैध रूप से बिजली मुहैया करानी शुरू कर दी। इसकी कीमत रखी गई 13 रुपये प्रति यूनिट। ऐसे ही पानी भी टैंकरों के माध्यम से उपलब्ध करवाया जाने लगा। 1000 रुपये में 5000 लीटर। यहां रहने वाले बहुत से लोगों के पास दिल्ली और हरियाणा दोनों राज्यों के वोटर कार्ड हैं।