अमेरिका इस वक्त आर्थिक तंगी के खतरे से घिरता हुआ दिखाई दे रहा है। इसका असर कहीं न कहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलने वाला है। विभन्न आर्थिक संकेतों और बाजार कारकों को घटा-बढ़ाकर यदि देखा जाए तो अमेरिका मंदी की कगार पर जा सकता है। इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर कैसे औऱ किस तरह से पड़ने वाला है आइए जानते हैं यहां।
दरअसल अमेरिका में कई प्रमुख इकोनॉमिक इंडिकेटर कमजोरी के संकेत पाए गए है। बेरोजगारी वहां पर अपने पैर पसारती हुई दिखाई दे रही है। बेरोजगारी दर जुलाई में बढृकर 3 साल में सबसे अधिक 4.3 प्रतिशत हो गई है। वहीं, आईएसएम मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई नौ महीने के निचले तक तक गिर गया है। इन सभी चीजों के चलते अमेरिका की अर्थव्यवस्था काफी ज्यादा प्रभावित होती हुई दिखाई दे रही है।
अमेरिका में मंदी का भारत पर असर
तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमानों को पहले के 2.6% से बढ़ाकर 2.9% कर दिया गया है. वेतन वृद्धि वर्तमान में मुद्रास्फीति से आगे है, और घर की कीमतें बढ़ रही हैं. ये सभी कुछ ऐसे संकेत हैं जो इकोनॉमी की मजबूती की तरफ इशारा करते हैं। यदि अमेरिका मंदी का सामना करता है तो इसका प्रभाव कई देशों पर पड़ेगा। भारत पर भी इसका असर नजर आएगा। शेयर बाजार में अमेरिका को भारत की मदर मार्केट के तौर पर जाना जाता है। वहां पर गिरावट का दौर शुरू होने पर यहां भी गिरावट नजर आती है। दोनों देश के बीच बड़ा ट्रेड होता है एक-दूसरे परस्पर निर्भरता है ही। भारतीय निर्यात की मांग कम हो सकती है। आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और कपड़ा जैसे क्षेत्र, जो अमेरिकी बाजार पर बहुत अधिक निर्भर हैं, एक ऑर्डर में गिरावट देखते हैं।