21 फरवरी को एनआईटी फरीदाबाद से विधायक नीरज शर्मा ने विधानसभा में रामायण की चौपाई बोलकर भाजपा सरकार को जगाने का काम किया।
विधानसभा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अयोध्या में बने प्रभु श्रीराम के मंदिर के निर्माण के उपलक्ष में धन्यवाद प्रस्ताव पढ़ा था जिसपर विधायक नीरज शर्मा ने सदन में कहा कि जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी। सो नृपु अवसि नरक अधिकारी। यानि कि जिस शासक के राज्य में जनता दुखी रहती है वह अवश्य ही नरक का अधिकारी होता है।
जल भरि नयन कहहिं रघुराई। तात कर्म निज ते गतिं पाई। अर्थ (आप) मेरे नेत्रों के विषय होकर सामने खड़े हैं। हे नाथ! अब मैं किस कमी (की पूर्ति) के लिए देह को रखूँ? नेत्रों में जल भरकर श्री रघुनाथजी कहने लगे- हे तात! आपने अपने श्रेष्ठ कर्मों से (दुर्लभ) गति पाई है।
एनआईटी विधानसभा के विकास कार्यों की 28 करोड़ रुपए की फाइल जोकि मुख्यमंत्री कार्यालय में लंबित है और सदन में मुख्यमंत्री एवं मंत्री ने 1 माह का समय मांग था लेकिन 1 माह पूर्ण होने के बाद भी फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय में लंबित है।
इसी मामले को लेकर विधायक नीरज शर्मा ने सरकार से सदन में कहा कि आप प्रभुराम को तो मानते हो लेकिन उनकी नहीं मानते क्योंकि रामायण में लिखा है रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई, यानि की अपने वचन की लाज रखने के लिए वो अपने प्राणों को भी बलिदान कर सकते हैं। परंतु वचन को तोड़ नहीं सकते।
विधायक नीरज शर्मा ने सदन में जय सियाराम के नारे लगाए और मांग की एक दिन की प्रभु श्रीराम की कथा विधानसभा में करवाई जाए।