निगम की तैयारी मात्र कागजों तक सीमित, स्मार्ट सिटी की सड़कों पर टैंकरों से नहीं हो रहा पानी का छिड़काव

फरीदाबाद। स्मार्ट सिटी में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक सप्ताह पहले लागू हुए ग्रैप को लेकर नगर निगम की तैयारी अब तक कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है। सड़क की धूल को दबाने के लिए पानी का छिड़काव शुरू नहीं किया गया है। नतीजतन शहर में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। पानी के टैंकरों के लिए किए गए टेंडर निगम की सुस्त कार्य प्रणाली की तस्दीक करते है। निगम के रवैये का यह आलम तो तब है जब प्रदूषण को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बुलेटिन में बल्लभगढ़ देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर में अनेक बार एक नंबर पर आ चुका है।

छिड़काव पर 38 लाख होंगे खर्च

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ग्रैप लागू होने के बाद सड़कों की धूल को दबाने के लिए नगर निगम ने पानी के टैंकर किराए पर लेने का फैसला किया। इसके लिए निगम् ने टेंडर किये है। निगम् को पानी के टैंकर देने वाली कंपनी 28 अक्तूबर तक टेंडर कर सकते है और उसके बाद 29 अक्तूबर को टेंडर खोले जाएंगे। प्रोसेस पूरा होने के बाद योग्य कंपनी को टेंडर दे दिए जाएंगे। इस पर निगम करीब 38 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। चार महीने के लिए टैंकरों का इस्तेमाल नगर निगम करेगा। इसके बाद अगर जरूरत महसूस हुई तो निगम संबधित टैंकर का आगे भी इस्तेमाल कर सकता है या फिर दोबारा टेंडर जारी किए जाएंगे।। इसको लेकर चार महीने बाद ही फैसला किया जाएगा। बहरहाल, सड़क की धूल को दबाने के लिए नगर निगम 29 अक्तूबर के बाद ही सड़कों पर पानी का छिड़काव करेगा। पर्यावरण प्रेमी विष्णु का कहना है कि अगर कोई कंपनी टेंडर लेने के लिए नही आई तो फिर पानी के छिड़काव को लेकर स्मार्ट सिटी के लोगों को इंतजार करना पड़ सकता है।

आग बुझाने वाली गाड़ियों का इस्तेमाल कर सकता है निगम

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ग्रैप के नियमों का पालन करने के लिए नगर निगम के पास ज्यादा जिम्मेदारी है। खासतौर से सड़कों की सफाई से धूल को दबाने के लिए पानी का छिड़काव, कूड़ा जलाने वालो पर करवाई करना मुख्य है। इसी कड़ी के तहत निगम ने सड़कों की धूल दबाने के लिए पानी के टैंकर लेने के लिए टेंडर किये हैं। निगन के एक अधिकारी ने बताया कि अगर किसी वजह से टैंकर का बंदोबस्त नहीं हो पाता है और वायु प्रदूषण बढ़ता है तो फिर आग बुझाने वाली गाड़ी का इस्तेमाल किया जा सकता है। पिछले वर्ष भी जरूरत पड़ने पर आग बुझाने वाली गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया। पेड़ो की पत्तियों पर जमी धूल को संबंधित गाड़ियों की मदद से साफ किया गया। उसके बाद वायु प्रदूषण पर कुछ काबू पाया गया।

बल्लभगढ़ देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर

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बल्लभगढ़ में वायु प्रदूषण कम नहीं हो रहा है। गुरुवार को यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 309 रहा, जो देश मे दूसरे नंबर पर है। पहले नम्बर पर मुरादाबाद है, वहां संबधित सूचकांक 318 रहा। इनके अलावा फरीदाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 203 रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ आए जारी बुलेटिन में यह स्थिति सामने आई। गौरतलब है कि बल्लबगढ़ पिछले दिनों भी देश का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर में आ चुका है।

ऐसे काम करता है ग्रैप

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वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण अथॉरिटी जिले में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) को 15 अक्टूबर से लागू करता है। इस कोयला, कूड़ा ओर पटाखे जलाने पर पाबंदी रहती है। ईंट के भट्टे बंद कर दिए जाते है। धूल को दबाने के लिए सड़को पर नियमित पानी का छिड़काव करना, सड़को की नियमित सफाई करनी होती है। अगर आयु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाता है तो फिर जनरेटर के चलाने, निर्माण कार्य बंद करें, क्रेसर जोन को भी बंद किया जाता है।

 

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