Vaishno Devi : फरीदाबाद लौटे लोगों ने सुनाई आप-बीती, किसी ने कहा शेर आ गया…और फिर

फरीदाबाद: जम्मू कश्मीर में माता वैष्णो देवी तीर्थ क्षेत्र में नववर्ष के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ के गवाह औद्योगिक नगरी के लोग भी बने हैं। फरीदाबाद से माता के दर्शन के लिए कटरा गए 11 लोग रविवार को घर लौट आए। उन्होंने बताया कि कैसे देखते ही देखते वहां भगदड़ मची और कई लोगों की मौत हो गई।

एतमादपुर में रहने वाले सुनील बताते हैं कि, हम दर्शन करके लौट रहे थे कि एकदम से भीड़ भागती दिखी। किसी ने शोर मचाया शेर आ गया है। किसी को कुछ सोचने का वक्त नहीं मिला और सब भागने लगे। कुछ देर बाद पता चला कि किसी का झगड़ा हुआ था। इसी बीच अफवाहें फैलने लगीं और कई लोगों की जान चली गई।

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एक-दूसरे से बिछड़ गए थे

धीरज नगर निवासी सोहनपाल सिंह, तारा, गांव अनंगपुर से हेमी और गांव एतमादपुर से रघुवर समेत हम 11 श्रद्धालु 29 दिसंबर की रात वैष्णो देवी के लिए रवाना हुए थे। 30 दिसंबर की शाम को पहुंचे और 31 दिसंबर को मां वैष्णो देवी के दर्शन करने गए। देर रात दर्शन करके लौट रहे थे, तभी भगदड़ मच गई। एतमादपुर के सुनील कुमार बताते हैं कि, हम सब साथी अलग-अलग हो गए थे। हम सोच रहे थे कि, कहीं हमारा कोई साथी न फंस जाए। संपर्क भी नहीं हो पा रहा था, क्योंकि मोबाइल होटल में छोड़ गए थे। मां वैष्णो देवी का स्मरण करते हुए आगे बढ़ तो रहे थे, लेकिन मन में डर था। शेर आने की अफवाह फैली हुई थी। काफी देर बाद हम होटल में सभी लोग सकुशल मिले तो चैन की सांस ली।

परिवार वाले करते रहे संपर्क

एक जनवरी को हमारे परिवार के लोगों को इस भगदड़ के बारे में पता चला तो उन्होंने हम सभी के मोबाइल पर संपर्क करना शुरू कर दिया था, लेकिन हमारे मोबाइल होटल में रखे थे। सोहनपाल सिंह बताते हैं कि होटल में पहुंचकर मोबाइल चेक किए तो सभी के घर से कई बार मिस कॉल आई हुई थीं। हमने अपनी कुशलता के बारे में परिवार वालों को बताया तो उन्होंने राहत की सांस ली। जम्मू से फरीदाबाद लौटने तक उस मंजर को याद कर आंखें नम होती रहीं।

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इस बार दिखी अव्यवस्था

धीरज नगर के तारा चंद बताते हैं कि नववर्ष पर हम भी कटरा गए थे। इस बार अव्यवस्था देखने को मिली, क्योंकि श्रद्धालु बेरोकटोक आ-जा रहे थे। कोई किसी से पूछ नहीं रहा था। इससे भीड़ इस कदर बढ़ गई कि लोग सटकर खड़े हुए थे। हमें भी उस भीड़ से सामना करना पड़ा था। पता चला था कि किसी ने शेर आने की भी अफवाह फैलाई थी, लेकिन ऐसा नहीं था। हर कोई अलग कहानी बता रहा था। अपने साथियों से अलग हो गए थे। चिंता भी थी कि आपस में मिलेंगे भी या नहीं पर सब इकट्ठा हुए तो चिंता कुछ कम हुई।

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