फरीदाबाद। फरीदाबाद और पलवल में मिलाकर करीब 30 लाख की आबादी रहती हैं। यहां के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली और हरियाणा के दूसरे जिलों में जाना पड़ता है। यहां के युवा फरीदाबाद और पलवल जिले में से किसी एक स्थान पर केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग कर रहे हैं, ताकि यहीं पर रहकर उच्च स्तरीय शिक्षा हासिल कर सकें।
सन् 2008 तक पलवल फरीदाबाद जिले में शामिल था। 15 अगस्त सन् 2008 को यह अलग जिला बन गया था। जिला बनने से पहले वहां एक भी सरकारी महाविद्यालय नहीं था। इसी तरह फरीदाबाद में सन् 2009 में वाईएमसीए इंजीनियरिंग संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। इसे डॉक्टर जेसी बोस विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। यहां तकनीकी शिक्षा दी जाती है। शहर में निजी-सरकारी मिलाकर में एक दर्जन से ज्यादा महाविद्यालय हैं। यहां दो प्राइवेट विश्वविद्यालय हैं। वहीं पलवल में भी एक प्राइवेट विश्वविद्यालय है। इसके अलावा पलवल के दुधौला गांव में कौशल विश्वविद्यालय है।
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद यहां के विद्यार्थियों के सामने अच्छे महाविद्यालय में दाखिले पाने का संकट खड़ा हो जाता है। दाखिले के लिए यहां के विद्यार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए दौड़ लगाते हैं। परंतु, वहां आसानी से दाखिला नहीं मिलता है। इसी तरह उच्च शिक्षा के लिए भी विद्यार्थियों को रोहतक, कुरुक्षेत्र और कई बार चंडीगढ़ तक भी जाना पड़ता है। यहां के छात्र बड़ी संख्या में आगरा और मथुरा का भी रुख करते हैं। यहां के युवा चाहते हैं कि केंद्र सरकार को फरीदाबाद और पलवल जिले में से किसी एक जिले में केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा करनी चाहिए। इसकी घोषणा इसी बजट में हो, ताकि यहां के युवाओं को गुणवत्ता पूर्ण उच्च शिक्षा हासिल हो सके।