फरीदाबाद: एनजीटी के आदेश पर भी सेक्टर-48 में सीवर की सफाई नहीं

फरीदाबाद। सेक्टर-48 के लोगों को दिवाली पर भी गंदगी से राहत नहीं मिली है। घरों के बाहर भरे सीवर के गंदे पानी की वजह से लोग घरों में ही रहे। बाहर दीये भी नहीं जला पाए। खासतौर से सड़क पर आकर बच्चे मौजमस्ती नहीं कर पाए। बल्कि जलभराव के चलते लोगों को डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारी का डर रहा। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के आदेश के बाद भी सेक्टर-48 की समस्याओं का निदान नहीं हो सका है। सेक्टर में लोग सीवर की समस्या और पेयजल संकट से परेशान हैं। ऐसे में लोग टैंकर को मंगवाकर पानी खरीद रहे हैं। स्थानीय लोग कई बार मामले की शिकायत नगर निगम से कर चुके हैं। इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है।

मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं लोग

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मूलभूत सुविधा के लिहाज से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कुल करीब 100 सेक्टर में यह सेक्टर सबसे पिछड़ा माना जाता है। महंगी जमीन खरीदकर अपने सपनों के घर बनाकर यहां रह रहे लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। पानी की पर्याप्त आपूर्ति और सीवर के पानी की निकसी जैसी मूलभूत सुविधा को लोग यहां तरस रहे हैं। हर घर को नल से पानी और स्वच्छता जैसा अभियान यहां के लोगों के लिये सपने जैसा है। नतीजतन यहां लोग पैसा खर्च करके अपने स्तर पर मूलभूत सुविधा का बंदोबस्त कर रहे हैं।सेक्टर-48 के रहने वाले डीके वर्मा बताते हैं कि सेक्टर में समस्याओं का अंबार है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने सेक्टर नगर निगम के हवाले कर दिया और नगर निगम कुछ करता नहीं है।

सफाई अभियान चलाया पर सीवर लाइन नहीं की साफ

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सीवर जाम की समस्या से निजात पाने के लिए शासन-प्रशासन से गुहार लगाने के बाद सेक्टर-48 के लोगों ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया। एनजीटी ने टीम भेजकर मौका मुआयना करवाया। हालत गंभीर होने पर एनजीटी ने नगर निगम पर जुर्माना भी लगाया और पानी निकासी का मुकम्मल बन्दोबस्त करने के आदेश दिए। स्थानीय लोगों के मुताबिक एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम ने सफाई अभियान चलाया, सीवर लाइन भी साफ की, लेकिन समाधान स्थायी नहीं किया। नतीजतन कुछ समय बाद समस्या फिर खड़ी ही गई।

महीने में दस हजार पानी पर कर रहे खर्च

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सेक्टर-48 में करीब चार सौ घर ओर दस सोसायटी हैं। करीब 700 परिवार यहां रह रहे हैं। पानी की आपूर्ति के लिए यहां एक बूस्टर बनाय हुआ है। स्थानीय निवासी वहीद का कहना है कि पानी नही आने पर रोज पानी का एक टैंकर मंगवाना पड़ता है, जिसकी कीमत पांच रुपए है। इस वजह से हर महीने करीब दस हजार रुपए खर्च करने पड़ते है, जबकि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, नगर निगम, फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण आदि सरकारी महकमों की जिम्मेदारी लोगों को मूलभूत सुविधा मुहैया करवाने की है। सेक्टर-48 की हालत बयान करती है कि उपरोक्त महकमें अपनी जिम्मेदारी नही निभा रहे हैं। वरना यहां लोगों को अपनी जरूरत पूरी करने के लिए पानी नही खरीदना पड़े और गंदगी की सफाई करवाएं पड़े।

 

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