खट्टर जी! नीरज शर्मा से कैसे पार पाओगे
कल ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में माननीय मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधायक नीरज शर्मा की समस्या को सुनने से इनकार कर दिया तो आज विधायक ने उसी गंदे पानी के बीच अपनी कुर्सी डाल ली। दरअसल अपने जनता दरबार में 450 लोगों की समस्याओं को दूर करके जो यश की प्राप्ति माननीय मुख्यमंत्री जी को होनी चाहिए थी उंस सारे मीडिया यश को एक झटके में नीरज शर्मा ने छीन लिया है।
नहीं देखा इतना नंग नेता
अतीत में हरियाणा ही नहीं देश की सियासत ने बहुत से नंग नेता बहुत देखे पर नीरज शर्मा सा नहीं देखा। अपनी समस्या को बताने के लिए नीरज शर्मा किसी भी हद तक जा सकता है।नंगा पन इतना कि सालों से जीवन नगर गौंछी में बने हरे समंदर के बीच से खुद गुज़र कर विधायक नीरज शर्मा ने बताया कि मेरे लोगों की परेशानियां क्या हैं। नगर निगम फरीदाबाद में हुए 200 करोड़ रुपए के घोटाले पर जब सालों सरकार के कान पर जूं न रेंगी तो विधायक नीरज शर्मा ने विधानसभा के बीच खड़े होकर अपने जूते और कपड़े त्यागने का ऐलान किया। 52 दिन इस प्रण का पालन किया तो सरकार को जांच के आदेश देने पड़े।
शुरू हुई नई बहस
लेकिन साथ ही एक नई संवैधानिक बहस भी शुरू हो गई है माननीय मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि ग्रीवेंस कमेटी में चुने हुए जन प्रतिनिधि नहीं बोलेंगे तो फिर बड़ा सवाल है कि क्या ये मंत्री विधायक वहां सिर्फ 100-200 ग्राम काजू खाने जाते हैं या इन दिखावटी तिहलों का कोई और उपयोग भी है। अब फरीदाबाद नगर निगम को ही लें। शहर के सांसद और विधायक इस सदन के पदेन सदस्य हैं। अपने मुद्दे रखने का उन्हें पूरा अधिकार है लेकिन वो सदन में वोट नहीं डाल सकते। यह अधिकार उन्हें जन प्रतिनिधी होने के नाते मिला है। लेकिन देखा यह गया है कि विधायक और मंत्री गली खड़ंजों के नारियल तक फोड़ने तो खुद पहुंचते हैं लेकिन नीरज शर्मा को छोड़ कर कोई भी विधायक, सांसद या मंत्री कभी भी सदन की बैठक में झांकते तक नहीं। बहरहाल अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगली ग्रीवेंस बैठक में क्या नीरज शर्मा कीचड़ में लथपथ होकर सदन में पहुंचते हैं या फिर उससे पहले ही समस्या का समाधान हो जाएगा।