काम आई पापा की पॉलिटिक्स…

शंकर कॉलोनी से चलेगी शहर की यूथ पॉलिटिक्स
ओल्ड फरीदाबाद में एक है शंकर कॉलोनी जो लोग फरीदाबाद की सियासत को समझते हैं वह जानते हैं कि इस गली में पॉलिटिक्स की पाठशाला चलती है। दरअसल यहां रहते हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व पार्षद लखन कुमार सिंगला जो दो बार विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। चाचा लखन के कई भतीजे हैं जो शहर की पॉलिटिक्स में सक्रिय हैं रोहित सिंगला तो पार्षद भी रहे हैं। खैर हम बात कर रहे हैं पॉलिटिक्स की पाठशाला की।
जब बागी हो गए भतीजे…
कहते हैं राजनैतिक प्रतिस्पर्धाएं परिवार से ही शुरू होती हैं। सिंगला परिवार के भी दो भतीजे कन्नू और पंकज चाचा लखन से बागी हो गए और 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी का दामन थाम लिया। फिर क्या था कांग्रेस के वजनदार उम्मीदवार की गली में ही कमल खिल गया। पूरी विधानसभा के नतीजे तो जो थे सो थे लेकिन शंकर कॉलोनी वाली गली भतीजों के विरोध की गवाह बनी और चाचा अपनी ही गली में बूथ नंबर 67 से 100 वोट से इलेक्शन हार गए। भतीजों की मेहनत थी कि पार्टी ने पुरस्कार भी दिया । पंकज सिंगला को भारतीय जनता युवा मोर्चा का जिलाध्यक्ष बना दिया।
शंकर कॉलोनी की इस गली में चाचा के सामने जिलाध्यक्ष भतीजे का बोर्ड लटक गया। रोज़ बोर्ड दिखता है तो जाहिर सी बात है कि परिवार के अन्य बच्चों को प्रेरणा मिलती है। चाचा के बेटे नितिन सिंगला का मन भी राजनीतिक सीढ़िया चढ़ने का हुआ।
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हालांकि नितिन ने पहले भी यूथ कांग्रेस में विधानसभा अध्यक्ष के रूप में ज़िम्मेदारी संभाली थी लेकिन पंकज सिंगला की राजनैतिक छलांग अचंभित कर देने वाली थी। इस बार यूथ कांग्रेस में ज़िलाध्यक्ष बनाने की बारी आई। नितिन ने ज़िलाध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए पर्चा भर दिया,कांग्रेस तो वैसे भी परिवार की पार्टी है। पापा की मेहनत बेटे की पॉलिटिक्स चमकने के काम आई। विरोधी उम्मीदवारों को राजनैतिक रसूख से समर्थन में बैठा दिया गया है। पापा ने बेटे का पॉलिटिकल पथ निष्कंटक कर दिया है। नितिन का यूथ कांग्रेस का शहरी ज़िलाध्यक्ष बनना लगभग तय है।
हालांकि यह पद बीजपी के जिला अध्यक्ष के मुकाबले देखें तो आधा है और पार्टी सत्ता से भी दूर है। लेकिन राजनैतिक कहावत है some thing is better then nothing. अब शंकर कॉलोनी में दो बोर्ड साथ साथ लगेंगे पंकज सिंगला का तो लगा ही हुआ है अब नितिन सिंगला का भी लगेगा। देखना यह होगा कि शहर में युवाओं को कौन ज्यादा अपने साथ जोड़ पाता है।

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