फरीदाबाद: साफ हवा में जहर घोल रहे अनफिट वाहन, 100 रुपये में बनवा रहे सालभर का प्रदूषण सर्टिफिकेट

फरीदाबाद। शहर में जहां रोजाना प्रदूषण का स्तर (Pollution Level) दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। वहीं सड़कों पर दौड़ने वाले हजारों वाहन ऐसे हैं जोकि, अपनी समय अवधि से अधिक सीमा पार करने के बावजूद दौड़ रहे हैं। इसके साथ ही हजारों ऐसे वाहन भी हैं जो कि, अनफिट होने के बावजूद प्रदूषण सर्टिफिकेट (Pollution Certificate) लेकर सड़कों पर चल रहे हैं। सर्टिफिकेट होने के कारण पुलिस भी उन पर कार्रवाई नहीं कर पाती। ऐसे में सरकार के प्रदूषण के लिए उठाए जाने वाले कदमों का असर जमीन पर दिखाई नहीं देता। एनबीटी की पड़ताल में खुलासा हुआ कि, प्रदूषण जांच केंद्र (Pollution Testing Center) चलाने वाले संचालक 100 रुपये में वाहन की जांच किए बिना ही सालभर की प्रमाणपत्र बना देते हैं।

ये हैं प्रमाणपत्र बनाने के नियम

बीके चौक के एक पेट्रोल पंप पर प्रदूषण जांच केंद्र चला रहे युवक ने बताया कि सरकार ने अत्याधुनिक तरीके अपना लिए हैं। इसके तहत वाहन की जांच के दौरान उसके साइलेंसर में एक स्टिक डाली जाती है। वाहन को कुछ देर तक स्टार्ट किया जाता है। इससे साइलेंसर में डाली गई स्टिक धुएं और प्रदूषण के स्तर को देखती है। इसके बाद वाहन का फोटो खींचा जाता है, जिसमें उसका नंबर दिखाई दे रहा हो। इसके साथ ही इससे यह भी पता लगाया जा सकता है कि गाड़ी का कितने दिन का सर्टिफिकेट जारी किया जा सकता है। इन दिनों एक साल का सर्टिफिकेट बनाया जाता है। दोपहिया वाहन का 80 रुपये और गाड़ी का 100 रुपये रेट है।

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ऐसे होता है खेल

नाम न छापने की शर्त पर एक संचालक ने बताया कि पैसे कमाने के लिए कुछ संचालक बिना सही से जांच किए भी सर्टिफिकेट बना देते हैं। इसके लिए वे सौ रुपये ज्यादा लेते हैं। वाहन की जांच के दौरान यदि गाड़ी ज्यादा धुआं दे रही होती है तो गाड़ी के नंबर के साथ फोटो खींच लिया जाता है। इसके बाद गाड़ी को बिना रेस दिए हल्के से स्टार्ट करने के बाद स्टिक को थोड़ा सा ही अंदर डाला जाता है। इससे स्टिक काफी कम धुएं को पकड़ पाती है। यदि गाड़ी काफी ज्यादा धुआं भी दे रही होती है तो दूसरी गाड़ी के साइलेंसर में स्टिक डालकर प्रिंट निकाल दिया जाता है। कई लोग बिना किसी जांच के ही प्रिंट निकाल देते हैं।

डीसीपी ने क्या कहा

डीसीपी ट्रैफिक पुलिस (DCP Traffic Police) सुरेश हुड्डा ने बताया कि,वाहन की जांच के दौरान पुलिस केवल सर्टिफिकेट की वैधता की जांच करती है। पुलिस के पास ऐसा कोई यंत्र नहीं होता, जिससे वाहन के प्रदूषण की मौके पर ही जांच के बाद उसका चालान किया जा सके। प्रदूषण विभाग को प्रमाणपत्र जारी करने वाले केंद्रों की भी जांच करनी चाहिए।

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